विभाग एचआरडी के अधीन प्रोस्थेटिक्स एवं आर्थोटिक्स में दीर्घावधि एवं लघु अवधि के पाठ्यक्रम आयोजित होते हैं । अध्ययन कार्यक्रम में क्लास रूम व्याख्यान, प्रयोगिक डेमोंस्ट्रेशन एवं फिर छात्रों द्वारा प्राक्टिकल, क्लिनिकल चर्चा, केस प्रस्तुतिकरण होते है । सेमिनार में सफल प्रतिभागी विभिन्न अस्पताल/ संस्थानों में देश -विदेश में अवस्थापित होते हैं । अध्ययन यात्रा (अंतिम वर्ष के छात्रों हेतु) देश के विभिन्न संस्थानों का भ्रमण, आर्टिफिशल लिंब केंद्र भ्रमण अध्ययन का अंग है ।
दीर्घ अवधि पाठ्यक्रम :
18 महीने का प्रोस्थेटिक एवं आर्थोटिक पाठ्यक्रम मई 1976 में शुरू हुआ । 1987 में डिप्लोमा इन प्रोस्थेटिक एंड ओर्थोटिक इंजीनियरिंग में शुरू हुआ इसका सहबंधन स्टेट काउंसिल आफ टेकनीकल एजूकेशन एंड वोकेशनल ट्रेनिंग, ओडिशा के साथ था । डीपीओई पाठ्यक्रम को बेचलर डिग्री इन प्रोस्थेटिक्स एंड आर्थोटिक्स (बीपीओ) के 1998 में साढे तीन वर्षीय कोर्स में परिवर्तित कर उत्कल विश्वविालय से सहबंधन किया गया । 2003 ई. से पाठ्यक्रम को साढे तीन से चार वर्ष अवधि का किया गया । वर्तमान उत्कल विश्वविालय के साथ सहबंधित किया है । बाद में आरसीआई मानों के अनुसार 2012 से पाठ्यक्रम को चार वर्ष अवधि का कर दिया है । इस पाठ्यक्रम हेतु न्यूनतम योग्यता फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलोजी/मेथेमेटिक्स के साथ +2 है । पाठ्यक्रम में 46 अंतर्ग्रहण अनुमत है ।
अल्पावधि पाठ्यक्रम :
विभाग विभिन्न सरकारी, गैरसरकारी संस्थाओं में काम करने वालों का प्रास्टेटिक्स एवं आर्थोटिक्स में आधुनिकतम ज्ञान बढाने हेतु अल्पावधि नवीकरण पाठ्यक्रम, जैसे कार्यशाला, सेमिनार आदि का आयोजन करता है । प्रेस्थेस्टिक्स एवं आर्थोटिक्स में अपनी अतन एवं आधुनिकतम तकनीक प्रदर्शन के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाता है । पुनर्स्थापन के वृहत्तर दायरे में अन्य विषयों के अल्पावधि पाठ्यक्रम भी आोजित किये जाते हैं ।
अतिथि अध्यापक आमंत्रित :
दीर्घावधि एवं अल्पावधि पाठ्यक्रमों में अतिथि अध्यापकों को आमंत्रित किया जाता है ।