लोगों में सचेतनता के बढने के फलस्वरूप चलन अक्षमता वाले लोगों के क्षेत्र में प्रोफेशनलों की मांग तेजी से बढ रही है । इस मांग को पूरा करने एवं समुचित पुनर्स्थापन सुविधायें ऊपलब्ध कराने पुनर्स्थापन पांच दीर्घावधि एवं दस अल्पावधि पाठ्यक्रम चलाता रहा है ।
पुनर्स्थापन के क्षेत्र में संस्थान अग्रणी मेनपावर उपलब्ध कराता रहा है । इसने 1976-77 में आर्थोटिक्स एवं प्रोस्थोटिक्स सर्टिफिकेट कोर्स चलाया । बाद में इस -1987 में डिप्लोमा में बदल दिया (डीपीओ) । 1999 में यह पाठ्यक्रम साढे तीन वर्षीय डिग्री कोर्स (बीपीओ) में बदल गया । फिर आगे यह 2003 ई. में साढे चार वर्षीय (छः महानी का इंटर्नशिप सहित) डिग्री पाठ्यक्रम बना दिया । सर्तमान में 2012 से प्रभावी यह पाठ्यक्रम, आरसीआई के अनुमोदनानुसार, चार वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम है । पुनर्स्थापन में प्रशिक्षित मानव संसाधन की मांग को देखते हुए SVNIRTAR ने आकूपेशनल थेरापी एवं फिजियोथेरापी में 1987 से दो डिग्री पाठ्यक्रम शुरू किये । इन्हीं दो विषयों से 2002 से उपाध्युत्तर (पीजी) पाठ्यक्रम शुरू किया । मेडिकल मेडिसन एवं पुनर्स्थापन (पीएमआर) में नेशनल बोर्ड आफ एग्जामिनेशनस नई दिल्ली से डीएनबी का एक्रेडीटेशन मिला है ।