स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीय पुनर्वास प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान के प्रशासन एवं प्रबंधन के लिए उपविधि
1. संक्षिप्त टाइटल एवं प्रारंभ :
i) इन नियमावली को स्वामी विवेकानन्द राष्ट्रीय पुनर्वास प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान के प्रशासन एवं प्रबंधन के लिए नियमावली 1987 कहेंगे
ii) यह नियमावली तुरंत प्रभावी लागू है ।
2. परिभाषायें :
इस नियमावली में अन्यथा कोई बात विपरीत न हो ।
ए) “संस्थान” का अर्थ है स्वामी विवेकानन्द राष्ट्रीय पुनर्वास प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान के प्रशासन एवं प्रबंधन
बी) “अध्यक्ष” का अर्थ है साधारण सभा का अध्यक्ष ।
सी) “साधारण सभा” का अर्थ है संस्थान की साधारण सभा
डी) “चेयरपरसन” का अर्थ है कार्य समिति का चेयरपरसन
इ) “कार्यसमिति” का अर्थ है संस्थान की कार्य समिति
एफ) “सदस्य” का अर्थ है साधारण सभा/ कार्य समिति का सदस्य
जी) “निदेशक” का अर्थ है संस्थान का निदेशक
एच) “सरकार” का अर्थ है भारत सरकार
आई) “वर्ष” का अर्थ है वित्तीय वर्ष/ 1 अप्रेल से 31 मार्च
जे) “सोसाइटी” का अर्थ है सोसाइटी पंजीकरण एक्ट xxi 1860 के
अधीन पंजीकृत संस्था ।
के) “फंड” का अर्थ है संस्था का धन ।
3. साधारण परिषद और कार्यकारी परिषद की क्षमता और कार्य :
स्वामी विवेकानन्द राष्ट्रीय पुनर्वास प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान के प्रशासन एवं प्रबंधन के लिए नियमावली में उल्लेख साधारण परिषद एवं अनुसार कार्यकारी परिषद क्षमता प्रयोग करेगी ।
4. निदेशक के कार्य एवं क्षमता :
निदेशक संस्थान के प्रबंधन और प्रशासन के दायित्व में होगा । वह ऐसी क्षमता का प्रयोग करेगा जो कार्यकारी परिषद संस्थान के मामले में डेलिगेट करेगी ताकि संस्थान के उद्देश्य और लक्ष्य प्राप्त किये जा सकें ।
संस्थान के मुख्य के रूप में संस्थान को आधुनिक वैज्ञानिक धारा में आर्थोपेडिकली विकलांगों के शिक्षण, प्रशिक्षण एवं पुनर्स्थापन अनुसंधान के लिए जिम्मेदार होगा । संस्थान के प्रमुख के रूप में संस्थान द्वारा प्रदत्त अन्य जिम्मेदारी ग्रहण करेगा । निदेशक को अधिकार सूची में क्षमता के अनुरूप वह वित्तीय एवं प्रशासनिक शक्ति का उपयोग करेगा । कुछ शक्तियाँ निदेशक अपने अधीनस्थ अधिकारियों को पुनः डेलिगेट कर सकेगा जो कि भारत सरकार के डेलिगेशन आफ पावर्स के अनुसार दी हैं । यह उन क्षमताओं को पुनः डेलिगेशन कार्यकारी परिषद की अगली बैठक में प्रस्तुत किया जाना चाहिए ।
5. शैक्षणिक समिति, क्रय समिति जैसी संस्थान की विभिन्न समितियों का गठन और कार्य :
क्षेत्र में विशेषज्ञों/ स्वैच्छिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों/संस्थानों के प्रमुखों/ सामाजिक कार्यकर्ताओं को लेकर कार्यकारी परिषद द्वारा तकनीकी सलाह, चयन, क्रय आदि के लिए निम्न कमिटियाँ गठित की जायेंगी :
i) शैक्षणिक समिति - समिति का आवाहन निदेशक द्वारा किया जायगा । इसमें आठ विशेषज्ञ सदस्य होंगे । ये सदस्य कार्य समिति द्वारा चुने जायेंगे । समिति का कार्यकाल दो साल होगा और साल में कस से कम एक बार अवश्य मिले ।
समिति विकास गतिविधियों की संभावना का अध्ययन करेगी, एवं वैज्ञानिक अनुसंधान, अनुसंधान परियोजनाओं के सभी पहलुओं पर विचार करेगी एवं विकलांगों के शिक्षण, प्रशिक्षण एवं स्थापन स्थापन पर विचार करेंगी ।
ii) क्रय समिति - संस्थान में क्रय समिति होगी जिसमें उपनिदेशक (तक.) , उपनिेशक(पी एंड ए) डिविजनों के प्रमुख जिनमें लेखा अधिकारी भी शामिल हैं, होंगे । यह समिति टेंडर खोलेगी, टेंडरों की अनुशंसा करेगी, संयंत्रों / उपकरणों/ कार्यालय उपकरणों/ फर्नीचर तथा अन्य स्टेशनरी आदि की बजार में प्रावधानों के अनुरूप गुणवत्ता नियंत्रण करेग ।
iii) कुछ कार्य समितियाँ - निदेशक निम्न समितियाँ गठन कर सकता है :
लाइब्रेरी समिति, केंटीन समिति, आवास समिति एवं अलाटमेंट समिति, कंडमनेशन समिति एवं अन्य की जब जरूरत हो ।
6. कर्मचारियों की साधारण सेवा शर्तें :
i) कार्य कमिटि नियुक्ति नियम बनायेगी एवं वेतमान, अकादेमिक एवं प्रोफेशनल योग्यता, अनुभव, उम्र आदि संस्थान के लिए मंजूर पदों के लिए निर्धारित करेगी ।
ii) संस्थान में सभी पदों का सृजन, जारी रहना एवं स्थानीयकरण आदि संबद्ध मंत्रालय से परामर्श करते हुए कार्य कमिटि वैसे पदों के लिए केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित योग्यता एवं अनुभव को ध्यान में रख कर करेगी । वेतनभत्तों को अपनाने संबंधी प्रस्ताव, अर्थात् वेतन मान, भत्ते, उनका संशोधन आदि तथा कुछ सीमा से ऊपर के पदों के सृजन के लिए सरकार की पूर्व मंजूरी आवश्यक है । तदनुसार, 15200/रु. (संशोधित) से अधिक वेतन वाले सभी पद सृजन के लिए सरकार की पूर्व अनुमति वित्तमंत्रालय के व्यय विभाग के परामर्श की जरूरत है । आगे संस्थान की कार्य समिति 15200/रु. प्रतिमाह वेतन मान तक वाले पद समय-समय पर सरकारी आदेशों के अनुपालनानुसार सृजन कर सकती है ।
iii) अ.जा./ ज.जा. पूर्व सैनिक/ भिन्नक्षम आदि के लिए पदों में आरक्षण भारत सरकार के नियमानुसार होंगे । संस्थान लागू करने हेतु आवश्यक रोस्टर प्रस्तुत करेगा ।
iv) अन्यथा स्पष्ट प्रावधान न हो, संस्थान के किसी कर्मचारी का पूरा समय संस्थान के लिए उपलब्ध हो, सक्षम अधिकारी द्वारा आवश्यकतानुसार किसी भी रूप में नियुक्त होगा ।
v) स्थायी एवं अस्थायी पद : - संस्थान की सेवा में पद ङङ्गस्थायी पद' होंगे जिनमें निश्चित मंजूरीकृत वेतमान होंगे, अवधि सीमा नहीं होगी । अथवा ङङ्गअस्थायी पद' याने वह पद जो निर्धारित वेतन सीमित अवधि के लिए होगा ।
vi) मेडिकल सुविधायें : - संस्थान के कर्मचारियों को मेडिकल अटेंडेंस रुल्स भारत सरकार के अनुसार मेडिकल सुविधायें उपलब्ध होंगी । सरकारी अस्पतालों के अलावा संस्थान के डाक्टर भी अधिकार प्राप्त मेडिकल अटेंडेंट होंगे ।
vii) पेंशन एवं जीपीएफ : - संस्थान के कर्मचारी पेंशन लाभ एवं जीपीएफ एवं ग्रेचुइटी के केंद्रीय सरकारी नियमानुसार हकदार होंगे । संस्थान के कर्मचारी भारत सरकार के नियमानुसार संस्थान की जीपीएफ योजना में शामिल होने के योग्य होंगे ।
viii) टीए, डीए एवं एलटीसी : - कर्मचारी टीए/डीए/ एवं एलटीसी एवं छुट्टियों के हकदार, जो उसे प्राप्य होंगे, भारत सरकार के नियमानुसार प्राप्त होंगी ।
ix) बीमा : - जीआइएस के अंतर्गत कर्मचारियों को ग्रुप इंस्योरेंस एलआइएल या समय -समय पर सरकार द्वारा स्वीकृत प्राप्त अन्य संस्था से उपलब्ध होगी ।
x) संस्थान के लिए स्टाफ चयन एवं नियुक्ति के लिए अपनायी जाने वाली पद्धति : -
ए) सभी पदों (6500/रू. -10500/रु. वेतनमान एवं अधिक) के लिए एंप्यायमेंट न्यूज में एवं एक स्थानीय अखबार में पंद्रह दिन का समय देकर विज्ञापन दिया जाये । जब वे आवेदन कर सकें । ग्रुप एल एवं ग्रुप डी के पदों को एंप्लायमेंट एक्सचेंज के जरिये एवं खुले विज्ञापन से भरा जाय । उन संस्थाओं को भी नोटिस दी जाय जो उचित अभ्यार्थी संस्तुत कर सकती हैं ।
बी) आवेदन पाने के बाद निदेशक उनकी स्क्रुटिनी करेगा और चयन कमिटि की तिथि चयन समिति के अध्यक से परामर्श कर निश्चित करेगा जहाँ अभ्यर्थी का चयन होगा ।
सी) सभी स्क्रुटिनी किये आवेदन चयन कमिटि के आगे रखे जायेंगे । चयन कमिटि आवेदनों और अन्य संबद्ध रिकार्डों के आधार पर चयन कर सकती है । आवश्यक समझे तो अभ्यर्थियों को साक्षात्कार हेतु बुलाया जाये । चयन समिति के अध्यक्ष द्वारा निर्धारित क्राइटेरिया के आधार पर निदेशक सभी आवेदनों की शार्ट लिस्ट तैयार कर सकता है । केवल शार्ट लिस्टेड योग्य प्रार्थी ही साक्षात्कार हेतु आमंत्रित होंगे ।
डी) चयन कमिटि की कार्यवाही स्वीकृति हेतु नियोजक आथारिटी के सम्मुख रखी जायेगी । फिर प्रार्थी को ज्वायन के लिए चार हफ्ते का समय देते हुए नियुक्ति पत्र दिया जायेगा । जोहो, ज्वायनिंग समय में निदेशक की इच्छा पर छूट भी दी जा सकती है ।
सभी चयन एवं नियुक्तियाँ कार्य समिति की अगली बैठक में अवश्य प्रस्तुत की जायें ।
xi) चयन कमिटि एवं विभागीय प्रोन्नति कमिटि का गठन
ए) ग्रुप ए के 8000 - 13500/रु. के वेतन और अधिक में -
अध्यक्ष - कार्य समिति अध्यक्ष
क्षेत्र के दो विशेषज्ञ - सदस्य
कोआप्टेड सदस्य - (एससी/एसटी) माइनारिटी समाज आवश्यतानुसार
संस्थान के निदेशक - सदस्य सचिव
विशेषज्ञ चयन हेतु प्रति वर्ष के आरंभ में कार्य समिति क्षेत्र से पांच विशेषज्ञों का पेनल चयन करेगी ।
बी) ग्रुप बी, सी एवं डी के अन्य पदों हेतु : -
संस्थान के निदेशक - अध्यक्ष
उपनिदेशक (तक.) - सदस्य
उपनिदेशक (पीएंड ए) - सदस्य सचिव
एस सी/ एस टी/ आवश्यकतानुसार अल्पसंख्यक समुदाय का एक को आप्टेड सदस्य ।
इ) निदेशक, उपनिदेशक पद के लिए चयन समिति का गठन संस्थान की साधारण समिति के अध्यक्ष द्वारा किया जायेगा ।
xii) चयन प्रार्थी दो वर्ष तक परिवीक्षण (प्रोबेशन) पर रहेंगे, अगर कार्य संतोषजनक न हो तो अधिकतम एक साल और बढाया जा सकता है । बढाया समय संतोषजनक ढंग से पूरा न करने पर सेवायें समाप्त की जा सकती हैं । परिवीक्षण समय संतोषजनक होने पर कर्मचारी भारत सरकार के नियमानुसार स्थायी किया जा सकता है ।
xiii) अस्थायी कर्मचारी या प्रोबेशन की सेवा कभी भी दोनों ओर से एक महीने की नोटिस देकर समाप्त की जा सकती है ।
xiv) एक कर्मचारी कट्राक्ट आधार पर, सर्वाधिक पांच वर्ष के लिए नियुक्ति किया जा सकता है । सेवा विस्तार अथवा सेवानिवृत्त के बाद पुनः सेवा में लेने पर भारत सरकार के नियमों का पालन जरूरी है। (सेवा समाप्ति या इस्तेफे में दोनों तरफ से एक महीने का नोटिस जरूरी है)
संस्थान के पास यह अधिकार सुरक्षित है कि कर्मचारी को नोटिस अवधि पूरी होने से पूर्व बिना कारण दर्शाये, नोटिस अवधि का वेतन देकर सेवा समाप्त कर सकता है ।
xv) उम्र एवं सेवा निवृति : - भारत सरकार के नियमानुसार सभी कर्मचारियों की सेवा निवअत्ति आयु साठ वर्ष होगी ।
xvi) प्राइवेट नौकरी : - कोई कर्मचारी प्राइवेट नौकरी या प्राइवेट प्रेक्टिस नहीं कर सकेगा ।
xvii) छुट्टियाँ एवं कार्य समय : - आम तौर पर छुट्टियाँ, अवकाश एवं कार्य समय केंद्रीय सरकार में जैसे स्वतः उपलब्ध होगी ।
xviii) प्रतिनियुक्ति (डेपुटेशन) : - कोई सरकारी कर्मचारी अथवा वैसी ही स्वायत्तशासी संस्था से प्रतिनियुक्ति (डेपुटेशन) पर सामान्य नियमों व शर्तों के अनुसार, जैसे केंद्र सरकार ने स्पष्ट की है, लिया जा सकता है ।
xix) कोई सरकारी कर्मचारी या स्वशांसी संस्था का कर्मचारी प्रतिनियुसकिवत पर केंद्र सरकार के सामान्य नियमों एवं शर्तों पर स्वीकार किया जा सकता है अथवा ग्रहण करने वाली संस्था के बीच स्वीकार्य आधार पर जा सकता है । विदेशी नियोक्ता की जिम्मेदारी होगी कि यथालय राशि विदेशी सेवा के लिए वह प्रदान करे ।
xx) किसी कर्मचारी समिति को अन्य संस्था (सरकार में भेजने के सभी मामले कार्य समिति के अध्यक्ष द्वारा मंजूर होने चाहिए ।
xxi) अध्यापन छुय्टी की मंजूरी विषय पर भारत सरकार के नियम लागू हैं ।
xxii) सेंट्रल सिविल सर्विस (कंडक्ट) रुल्स एवं भारत सरकार के क्लासिफिकेशन कंट्रोल एवं अपील रुल्स स्वतः संस्थान के कर्मचारियों पर लागू होंगे ।
xxiii) सेवा का रिकार्ड रखना : - प्रत्येक कर्मचारी जिसका वेतन व भत्ता संस्था के प्रमुख एस्टाब्लिसमेंट बिल से निकाला जाता है, सर्विस बुक प्रशासन विभाग द्वारा रखी जायेगी । लेखा का आडिट उसके वेतन एवं भत्तों के बारे में लेखाकार रखेगा, अगर कर्मचारी बाहर सेवा में गया तो उसके अंशदान की रिकवरी पर वह निगाह रखेगा ।
xxiv)ग्रुप ङङ्गए' पदों के बारे में नियुक्ति अथारिटी कार्यसमिति के अध्यक्ष होंगे और ग्रुप ङङ्गबी,सी एवं डी' के बारे में निदेशक होंगे ।
7. लेखा रखने एवं लेखा के अंकेक्षण के संबंध में नियम :
i) कार्यकारी समिति भारत सरकार के विजिलेंस कमिशन को संस्थान के मामलों पर प्राधिकार जाहिर करने प्राधिकृत कर सकती है ।
ii) कार्यसमिति द्वारा शिडूल आफ पवर्स डेलिगेटेड के अनुसार निदेशक वित्तीय क्षमता आहरण करेगा । निदेशक पुनः आगे वित्तीय क्षमता पुनः डेलिगेट अपने अधीनस्थों को, कार्य समिति के पूर्व अनुमोदन पर, कर सकता है ।
iii) मंत्रालय बजट अनुमान, प्लान एवं ननप्लान योजना आयोग, वित्तमंत्रालय को अक्टूबर में देता है । अतः मंत्रालय आशा करता है ये एस्टिमेट्स एसवी निरतार 30 सितम्बर तक प्रदान कर दे । अतः संस्थान को बजट 15 सितम्बर तब बना कर कार्यसमिति अध्यक्ष को प्रदान कर देना चाहिए । बाद में यह साधारण समिति की वार्षिक बैठक में मंजूरी हेतु प्रस्तुत करते हैं । साधारण समिति की टिप्पणी, यदि कोई है, बजट प्रस्ताव पर सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय को सूचित कर दी जाती है । ये अनुमान संशोधित होते हैं, यदि मंत्रालय मांगे एलाटमेंट से सहमत न हो । बजट में निम्न बातें होनी चाहिए :
ए) संस्थान प्लान एवं ननप्लान एस्टिमेट अलग-अलग दे ।
बी) यह केपिटल एवं रेवेन्यु एस्टिमेट अलग-अलग दे ।
सी) संस्थान बजट में पूर्व वर्ष का व्यय, चालू वर्ष बजट, एवं
आगामी वर्ष के अनुमान प्रदान करेगा ।
डी) संस्थान का बजट संस्थान की विभिन्न क्षेत्र की गतिविधियों का एवं प्रति कार्य के लिए निर्धारित राशि का विवरण देगा । इसके साथ जरूरत हेड दर्शायेगा : वेतन एवं भत्ते । छुट्टी वेतन की अंशदान, प्रोविडेंट फंड आदि । फिक्सर एवं फर्नीचर पर व्यय, आफिस संयंत्र, पोस्टेज पर व्यय, भाडे, कर विुत, जल प्रभार आदि, अन्य कंटिजेंसीज जैसे वाहन रख रखाव । प्रत्येक गतिविधि क्षेत्र में केपिटल एक्विपमेंट, कंज्यूमेबल स्टोर एवं नन कंज्यूमेबल स्टोर्स, स्टाइपेण्ड आदि ।
बजट अनुमानों के साथ निम्न विवरण का राइट अप भी संलग्न करें :
i) वर्तमान कार्यक्रमों के लिए धन की आवश्यकता
ii) नये कार्यक्रमों के लिए धन की आवश्यकता
iii) पूर्व वर्ष में हासिल किये फिजिकल लक्ष्य, चालू वर्ष में प्रस्तावित लक्ष्य एवं अगले वर्ष में ।
iv) अतीत के कार्य निष्पादन को वर्तमान निष्पादन से तुलना, कमियों के, यदि कोई है, और फिर की गई कार्यवाही या प्रस्तावित कार्यवाही ।
v) संस्थान के धन में होंगे :
ए) भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा दिया अनुदान
बी) अन्य स्रोतों से प्राप्त दान या अंश दान
सी) अन्य आय एवं प्राप्तियाँ
vi) जो स्कीमें प्रशासनिक रूप में सक्षम अधिकारियों द्वारा स्वीकृत नहीं हैं, उन्हें बजट में शामिल न करें ।
vii) कोई नई स्कीम, जो मूल स्कीम के विकास में शामिल की जानी है, जो उस वर्ष के प्रस्ताव के साथ कार्य समिति के सामने मंजूरीकृत अनुमानों के बीच रिअप्रोप्रियेशन सप्लिमेंटरी ग्रांट के जरिये शामिल करें ।
viii) भारत सरकार एवं/ या अन्य सूत्र से प्राप्त अनुदान संबद्ध रजिस्टर में रखा जायें जो विशेष हेड एवं विशेष पद दर्शाते हैं ।
ix) संस्थान का धन कार्यसमिति द्वारा प्रस्ताव पास किये राष्ट्रीय बैंक में रखा जायेगा ।
x) उचित लेखा बहियाँ रखी जायें जहाँ प्रप्ति एवं इस स्रोत, तथा व्यय एवं उसका सैंक्शन प्रदर्शित हो ।
xi) संस्थान का लेखा वर्ष 1 अप्रेल से अगले वर्ष की 31 मार्च होगा ।
xii) आर्थिक वर्ष समाप्ति पर एक तुलन पत्र, जिसमें प्राप्तियां एवं देयतायें, साथ में प्राप्तियों एवं व्यय विचार के साथ हो ।
xiii) संस्थान के लेखा का अंकेक्षण प्रति वर्ष सीएजी से कराया जाये, उनकी रिपोर्ट प्रतिवर्ष अगले वर्ष 31 दिसम्बर से पूर्व पालेमेंट में वार्षिक रीपोर्ट के साथ रखी जाये । अतः सीएजी को प्रति वर्ष अंकेक्षण हेतु समय पर अनुरोध किया जाय । इससे 31 अक्टूबर तक रिपोर्ट दी जा सके । साथ में, यदि जरूरी है, कार्य समिति के विचार पर आंतरिक अंकेक्षण चार्टर्ड अकांउंटेंट से करवाया जा सकता है । आर्थिक वर्ष समाप्त होने पर तुलन पत्र, जिसमें आस्तिया व देयतायें, आय-व्यय सहित प्रस्तुत कर कार्य समिति को सौंपा जाये ।
xiv) संस्थान लेखा बहियाँ, रजिस्टर, वाउचर एवं अन्य बाउचर एवं कागज साथ में मंजूरी कृत बजट की एक प्रति आडिटर को उपलब्ध करायें जिन्हें संस्थान का कार्यलय इंस्पेक्ट एवं अन्य निर्माणाधीन कार्य जांचने का अधिकार होगा ।
xv) पूर्व वर्ष के अंकेक्षित लेखा वित्तीय वर्ष समाप्ति के छः महीने के अंदर सरकार को प्रदान किये जायें । अगर प्रदान विलंबित होता है, कार्य समिति को कारण बताया जाये ।
xvi) निदेशक को क्षमता है कि उचित कारण पर धन अप्रोपियेट एवं/या रिअप्रोप्रियेट कर सके, उसे कार्य समिति की अगली बैठक में उसे रेक्टिफाय करायें । एक प्रायमरी युनिट सेकेंडरी युनिट से दूसरी में राशि में लेने की क्षमता निदेशक में है, उसे अगली कार्यसमिति में रेटिफार्ट कराना होगा ।
xvii) संस्थान के पास आवश्यक धन रख बाकी राशि बेहतर रिसर्न पाने अल्पावधि स्थायी जमा रख सकता है ।
xviii) कार्य समिति द्वारा पदत्त अधिकारों का प्रयोग कर निदेशक सभी सहमति पत्र, करार, ट्रांस्फर डीड, डीड आफ कंवेयेंस एवं अन्य संस्थान संबंधी दस्तावेज संस्थान द्वारा नियुक्त कानूनी सलाहकार की सलाह पर हस्ताक्षर करें और कार्यकारी करेंगे ।
xix) अधीनस्थ प्राधिकारी कोई करार नहीं करेगा, जो कि सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्देशित या प्राधिकृत नहीं किया गया है ।
xx) किसी करार से उत्पन्न वाद में निदेशक मुकदमा कर सकते हैं या मुकदमा लड सकते हैं ।
xxi) मरम्मत के अयोग्य या पुरानी पड गई सामग्री को निदेशक को रफादफा का अधिकार है ।
xvii) निदेशक व्यय पर निगाह रखेगा एवं मंजूर अनुदान राशि की सीमा में अनुमोदन प्रदान करेगा । उसकी सहायता उसकी ओर से प्राधिकृत अधिकारी करेंगे ।
xviii) व्यय के लिए राशि चेक द्वारा बैंक से आहरण की जायेगी ।
xxiv) चेक बुक निदेशक या उसके द्वारा प्राधिकृत अधिकारी के व्यक्तिगत अधिकार में रहेगी ।
xxv) प्राप्तियों एवं व्यय के लिए लेखा अधिकारी/ एकाउंटेंट सहायता करेंगे जो कि प्राफार्म लेखा रखेंगे और वेतन एवं भत्तों संबंधी क्लेम दाखिल करेंगे एवं निर्धारित फार्म में कंटिजेंट बिल दाखिल करेंगे जिन पर निदेशक या उसके द्वारा प्राधिकृत द्वारा, डीडी/ अथवा नगद भुगतान जैसी स्थिति हो, से पूर्व काउंटरसाइन होंगे । संस्थान की सभी राशियों के भुगतान से पूर्व लेखा अधिकारी एक प्रकार का प्रि आडिट करेंगे ।
xxvi) आफिस परिसर के लिए निदेशक कार्यसमिति की स्वीकृति से आवश्यक आवास किराये पर ले सकेगा । यह सरकार द्वारा ऐसे उद्देश्यों के लिए निर्धारित दर से अधिक नहीं होगा । एवं अथवा ऐसी निर्धारित दरों के अभाव में सरकार की मंजूरी से जैसा कि 1978 की वित्तीय क्षमताओं के डेलिगेशन की 16वें संलग्न की अनुसूची में दिया गया है । संस्थान के अपने भवन निर्माण में, निदेशक को संस्थान इंजीनियर सहायता करेगा जो साइट पर तदारख करेगा और समय-समय पर रिपोर्ट प्रदान करेगा ।
xxvii) तुलनपत्र एवं अंकेक्षित लेखा साथ में वार्षिक रिपोर्ट साधारण समिति को विचारार्थ प्रस्तुत की जायेगी ।
xxviii) अंकेक्षण के परिणाम साथ में अकेक्षण रिपोर्ट सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय, नई दिल्ली को संप्रेषित की जायेगी ।
8. संस्थान के धन का गठन एवं रखरखाव :
1. अनुदान का रजिस्टर
2. कार्य समिति द्वारा प्राधिकृत बैंक में धन रखा जायेगा । कार्य समिति द्वारा प्राधिकृत तरीके से हर राशि चेक द्वारा आहरित की जायेगी ।
3. आस्तियों का रजिस्टर रखा जायेगा
4. पार्टियों से बाकी प्राप्यराशि का रजिस्टर, संस्थान के कर्मचारियों के अलावा, रखा जायेगा ।
5, रिकवरी पोजिशन सहित कर्मचारियों को ऋण एवं अग्रिम का रजिस्टर ।
6. किराये का रजिस्टर
7. प्राप्त फीस का रजिस्टर
8. चेक बुक का रजिस्टर
9. रसीद बुक का रजिस्टर
10. मंजूर पदों का रजिस्टर एवं मंजूर की अथारिटी
11. जीपीएफ लेखा, लेजर एवं तुलन पत्र
12. सर्विस बहियाँ
13. चयन समिति की कार्यवाही, अकादेमिक समिति की कार्यवाही आदि के रजिस्टर
14. ग्रंथागर पुस्तकों का रजिस्टर
15. आवधिक वेतनवृद्धि एवं अक्विटेंस रोल का रजिस्टर
16. कैश बुक एवं इंप्रेष्ट केश बुक्स
17. बैंक समायोजन रजिस्टर (संभव हो तो कैशबुक के साथ प्रस्तुत हो)
18. बिल कंट्रोल रजिस्टर
19. व्यय के नियंत्रण हेतु लेजर
20. टीए/डीए रजिस्टर
21. पे बिल रजिस्टर
22. कंटिंजेंट बिल रजिस्टर
23. फूएल लेखा रजिस्टर
24. स्टाप लेखा रजिस्टर
25. आर ए बिल रजिस्टर
26. स्टाक रजिस्टर
27.स्टेशनरी रजिस्टर
28. फूटकर व्यय रजिस्टर
नोट : निदेशक के पर्यवेक्षण में संस्थान संबद्ध रजिस्टर एवं फार्म ऊपर लिखे अनुसर रखेगा एवं उनके रजिस्टर के खोलने एवं रखने का विस्तृत निर्देश सह काम होगा ।
9. स्वशासी निकायों के वित्तीय अधिकार : उनकी सीमायें :
i) एमोलुमेंट स्ट्रक्चर, याने वेतनमान, भत्ते एवं उनके संशोधन पद सृजन, विशेष वेतन स्तर के लिए भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में व्यय विभाग से पूर्व मंजूरी लेना आवश्यक है ।
ii) वित्तमंत्रालय/संयेकित वित्त/ मंत्रलाय के डिविजन का एक प्रतिनिधि संबद्ध स्वयत्तासी संस्था की कार्यसमिति का सदस्य, याने एसवी निरतार की कार्य समिति का सदस्य नियुक्त होना चाहिए । एवं प्रदत्त अधिकारों से आगे के वित्तीय विषयों पर मंत्रालय/भारत सरकार के विभाग को विषय संबद्ध प्रशासनिक मंत्रालय एवं वित्तमंत्रालय का निर्णय हेतु रेफा की जाय ।
10. छुट्टी
विभिन्न प्रकार की छुट्टी के संबंध में संबद्ध संस्थान केंद्रीय सरकार के छुट्टी नियमों के अंतर्गत होंगे ।
11. एफआर, एसआर, जीएफआर एवं भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों का, यदि इन नियमों में अन्यथा उल्लेख न हो, पालन होगा ।
12. इन नियमों में कोई परिवर्तन/ संशोधन या जोडने के लिए कार्य समिति, संस्थान की पूर्व स्वीकृति आवश्यक है ।
13. इन नियमों की व्याख्या में कोई संदेह हो, मामला सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय, भारत सरकार को रेफर किया जाय, उनका निर्णय अंतिम निर्णय होगा ।